जमुई,ब्यूरो अमित कुमार सविता।
(एनएच लाइव जमुई।)
Edited: Prince Dilkhush
जमुई/ममंगलवार को स्थानीय मोगलकुआं स्थित राष्ट्रीय नाई महासभा कार्यालय के सभागार में राष्ट्रीय नाई महासभा के तत्वावधान में महात्मा ज्योतिबा फुले की 190 वीं जयंती समारोह पूर्वक राष्ट्रीय नाई महासभा के प्रदेश सचिव बिनय कुमार आलोक की अध्यक्षता में मनाई गयी।
इस मौके पर विश्व प्रसिद्ध महान कर्मयोगी महात्मा ज्योतिबा फुले के चित्र पर फूल-माला अर्पित कर उन्हें स्मरण करते हुए राष्ट्रीय नाई महासभा के प्रदेश महासचिव सह प्रदेश प्रवक्ता शिक्षाविद् राकेश बिहारी शर्मा ने समारोह को सम्बोधित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि ज्योतिराव गोविंदराव फुले 19 वीं सदी के एक महान भारतीय प्रखर विचारक, सुविख्यात समाजसेवी, लेखक, महान दार्शनिक तथा एक महान सामाजिक क्रान्तिकारी कार्यकर्ता एवं समता के संदेशवाहक थे।
कर्मयोगी महात्मा ज्योतिबा फुले समग्र समाज के लिए प्रेरणा के स्रोत थे। वे समरस समाज के पुरोधा थे, उनके समाजसेवा के प्रयासों से देश में शिक्षा की क्रांति हुई। महात्मा फुले ने अपने परिवार से सेवा की शुरूआत की थी। उन्होंने कहा कि देश व समाज की उन्नति के लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है। हर समाज को शिक्षित बनने के लिए प्रयास करना चाहिए और समाज के कमजोर तबके को शिक्षा के मुख्य धारा से जोडना चाहिए । महात्मा ज्योतिबा फुले बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।
महात्मा ज्योतिबा फुले 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट के पुणे में पिता श्री गोविन्दराव व माता चिमनाबाई के घर जन्मे, ज्योतिबा ने सामाजिक समरसता, दलित उत्थान व नारी शिक्षा के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष किया। वे ही थे जिन्होंने भारत से दासता को मिटाने के लिए पुरजोर प्रयास कियें। स्त्रियों की दशा सुधारने और उनकी शिक्षा के लिए ज्योतिबा ने 1848 में एक स्कूल खोला। यह इस काम के लिए देश में पहला विद्यालय था। लड़कियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नहीं मिली तो उन्होंने कुछ दिन स्वयं यह काम करके अपनी पत्नी सावित्री को इस योग्य बना दिया।
इस मौके पर बिनय कुमार आलोक, रामसागर राम, मुकेश कुमार, अमित कुमार, धनन्जय कुमार, अरुण बिहारी शरण, धीरज कुमार, डॉ०विजय किशोर, डॉ० अनुज कुमार जर्राह, विशुनदेव कुमार, शिवेंद्र कुमार, समाज सेविका बबिता रानी, प्रो० महेश्वर ठाकुर, अजित कुमार मिश्रा, राजेश ठाकुर, जितेंद्र कुमार शर्मा, सुधीर कुमार, राम कृष्णा प्रसाद, शम्भु शरण आदि लोग मौजूद थे ।
(एनएच लाइव जमुई।)
Edited: Prince Dilkhush
जमुई/ममंगलवार को स्थानीय मोगलकुआं स्थित राष्ट्रीय नाई महासभा कार्यालय के सभागार में राष्ट्रीय नाई महासभा के तत्वावधान में महात्मा ज्योतिबा फुले की 190 वीं जयंती समारोह पूर्वक राष्ट्रीय नाई महासभा के प्रदेश सचिव बिनय कुमार आलोक की अध्यक्षता में मनाई गयी।
इस मौके पर विश्व प्रसिद्ध महान कर्मयोगी महात्मा ज्योतिबा फुले के चित्र पर फूल-माला अर्पित कर उन्हें स्मरण करते हुए राष्ट्रीय नाई महासभा के प्रदेश महासचिव सह प्रदेश प्रवक्ता शिक्षाविद् राकेश बिहारी शर्मा ने समारोह को सम्बोधित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि ज्योतिराव गोविंदराव फुले 19 वीं सदी के एक महान भारतीय प्रखर विचारक, सुविख्यात समाजसेवी, लेखक, महान दार्शनिक तथा एक महान सामाजिक क्रान्तिकारी कार्यकर्ता एवं समता के संदेशवाहक थे।
कर्मयोगी महात्मा ज्योतिबा फुले समग्र समाज के लिए प्रेरणा के स्रोत थे। वे समरस समाज के पुरोधा थे, उनके समाजसेवा के प्रयासों से देश में शिक्षा की क्रांति हुई। महात्मा फुले ने अपने परिवार से सेवा की शुरूआत की थी। उन्होंने कहा कि देश व समाज की उन्नति के लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है। हर समाज को शिक्षित बनने के लिए प्रयास करना चाहिए और समाज के कमजोर तबके को शिक्षा के मुख्य धारा से जोडना चाहिए । महात्मा ज्योतिबा फुले बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।
महात्मा ज्योतिबा फुले 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट के पुणे में पिता श्री गोविन्दराव व माता चिमनाबाई के घर जन्मे, ज्योतिबा ने सामाजिक समरसता, दलित उत्थान व नारी शिक्षा के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष किया। वे ही थे जिन्होंने भारत से दासता को मिटाने के लिए पुरजोर प्रयास कियें। स्त्रियों की दशा सुधारने और उनकी शिक्षा के लिए ज्योतिबा ने 1848 में एक स्कूल खोला। यह इस काम के लिए देश में पहला विद्यालय था। लड़कियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नहीं मिली तो उन्होंने कुछ दिन स्वयं यह काम करके अपनी पत्नी सावित्री को इस योग्य बना दिया।
इस मौके पर बिनय कुमार आलोक, रामसागर राम, मुकेश कुमार, अमित कुमार, धनन्जय कुमार, अरुण बिहारी शरण, धीरज कुमार, डॉ०विजय किशोर, डॉ० अनुज कुमार जर्राह, विशुनदेव कुमार, शिवेंद्र कुमार, समाज सेविका बबिता रानी, प्रो० महेश्वर ठाकुर, अजित कुमार मिश्रा, राजेश ठाकुर, जितेंद्र कुमार शर्मा, सुधीर कुमार, राम कृष्णा प्रसाद, शम्भु शरण आदि लोग मौजूद थे ।

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