Tuesday, 13 June 2017

👉हाइकोर्ट ने पूछा बिना किताब के बच्चे कैसे करेंगे बेहतर परफॉर्मेंस। 👉प्रधान सचिव ने सदेह उपस्थित होकर दिया जबाब।माननीय न्यायाधीश ने आदेश रखा सुरक्षित। 👉याचिका कर्ता के द्वारा 14 को दिया जाएगा प्रधान सचिव के प्रतिस्पथ का जबाब। 👉14 जून को किताब नहीं देने के मामले पर पारित हो सकता है आदेश।

जमुई, एनएच लाइव बिहार के लिए अमित कुमार सविता।Edited by Prince Dilkhush

जमुई : किताब नहीं देने से सम्बंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट के माननीय न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन से पूछा बिना किताब का बच्चे कैसे बेहतर परफॉर्मेंस करेंगे ।
बिहार के सरकारी विद्यालय में नामांकित लगभग ढ़ाई करोड़ छात्र- छात्रा को शैक्षिणिक सत्र 2017-18 की पढ़ाई प्रारंभ होने के दो माह बाद भी सरकार द्वारा आरटीई के तहत दी जाने वाली निःशुल्क किताब नहीं दिए जाने पर माननीय हाइकोर्ट के आदेश पर मंगलवार शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव सदेह उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज कराया है।

इस दौरान वो माननीय न्यायाधीश के आरटीई एक्ट के उलंघन जैसे सवाल का जबाब नहीं दे सके ।
 जमुई जिले के गिद्धौर निवासी सह शिक्षा प्रेमी आनंद कौशल सिंह द्वारा माननीय हाइकोर्ट में बच्चों को किताब नहीं दिए जाने के मामले में दायर CWJC-8250/2017  जनहित याचिका की सुनवाई के बाद माननीय न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह ने  आदेश सुरक्षित रख लिया है ।

इस संदर्भ में जानकारी देते हुए याचिका कर्ता आनंद कौशल सिंह ने बताया कि प्रधान सचिव के द्वारा कोर्ट में उपस्थित होकर बच्चों के किताब से सम्बंधित सही जानकारी माननीय हाइकोर्ट को नहीं दी गई है । इसलिए 14 जून को पुनः माननीय न्यायाधीश के समक्ष शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के प्रतिस्पथ का जबाब दिया जाएगा । आनंद ने बताया कि सरकार से शीघ्र किताब देने की मांग व  किताब नहीं देकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले अधिकारी पर क़ानूनी कार्रवाई करने की मांग की गई थी।

लेकिन फिर भी किताब नहीं दिए जाने पर माननीय हाइकोर्ट पटना में करोड़ों बच्चों के भविष्य की रक्षा के लिए एक जनहित याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई गई है । उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है माननीय उच्च न्यायालय से बिहार के करोड़ों बच्चों को न्याय मिलेगा।

याचिका की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मृत्युंजय कुमार के द्वारा  प्रत्येक साल बच्चों को समय पर किताब नहीं देने की बात कही गई । उन्होंने माननीय न्यायाधीश से एक निश्चित समय के अंदर बच्चों को किताब देने का आदेश पारित करने व दोषी को दण्डित करने की गुहार लगाई है ।

No comments:

Post a Comment